कनकधारा स्तोत्रम पाठ – 2023 (वैदिक संस्कृत) (Kanakadhara Stotram Sanskrit, Hindi and English)- अपार धन की प्राप्ति हेतु एक बहुत ही प्रभाव शाली स्तोत्र है।
आज जब हर एक अपने जीवन में आर्थिक तंगी को परेशान हैं और धन की प्राप्ति के लिए कोई भी उपाय करने को तैयार है – कनकधारा स्तोत्रम धन प्राप्ति के लिए एक अचूक उपाय है.
ऐसा माना गया है के इस प्राचीन पाठ में अपर शक्ति है और – कनकधारा यंत्र एवं स्तोत्र चमत्कारिक रूप से मनचाहा फल प्रदान करते हैं। मान्यता अनुसार कनकधारा स्तोत्रम को किसी भी प्रकार की विशेष विधि-विधान की मांग नहीं है.
कनकधारा स्तोत्रम सिर्फ दिन में एक बार पढ़ना पर्याप्त है। पूजा में कनकधारा स्तोत्रम के सामने दीपक और अगरबत्ती लगाना आवश्यक मन गया है लेकिन यदि आप कभी भूल जाएं तो बाधा नहीं आती, वह इसलिए की यह चैतन्य माना जाता है।
कनकधारा स्तोत्र का पाठ करने से चमत्कारिक रूप से अपार धन प्राप्ति और धन संचय के लिए लाभ प्राप्त होता है।
कनकधारा स्तोत्रम (Kanakadhara Stotram Sanskrit and Hindi Lyrics)
कनकधारा स्तोत्रम (Kanakadhara Stotram in Sanskrit)
अंगहरे पुलकभूषण माश्रयन्ती भृगांगनैव मुकुलाभरणं तमालम।
अंगीकृताखिल विभूतिरपांगलीला मांगल्यदास्तु मम मंगलदेवताया:।।1।।
मुग्ध्या मुहुर्विदधती वदनै मुरारै: प्रेमत्रपाप्रणिहितानि गतागतानि।
माला दृशोर्मधुकर विमहोत्पले या सा मै श्रियं दिशतु सागर सम्भवाया:।।2।।
विश्वामरेन्द्रपदविभ्रमदानदक्षमानन्द हेतु रधिकं मधुविद्विषोपि।
ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणार्द्धमिन्दोवरोदर सहोदरमिन्दिराय:।।3।।
आमीलिताक्षमधिगम्य मुदा मुकुन्दमानन्दकन्दम निमेषमनंगतन्त्रम्।
आकेकर स्थित कनी निकपक्ष्म नेत्रं भूत्यै भवेन्मम भुजंगरायांगनाया:।।4।।
बाह्यन्तरे मधुजित: श्रितकौस्तुभै या हारावलीव हरिनीलमयी विभाति।
कामप्रदा भगवतो पि कटाक्षमाला कल्याण भावहतु मे कमलालयाया:।।5।।
कालाम्बुदालिललितोरसि कैटभारेर्धाराधरे स्फुरति या तडिदंगनेव्।
मातु: समस्त जगतां महनीय मूर्तिभद्राणि मे दिशतु भार्गवनन्दनाया:।।6।।
प्राप्तं पदं प्रथमत: किल यत्प्रभावान्मांगल्य भाजि: मधुमायनि मन्मथेन।
मध्यापतेत दिह मन्थर मीक्षणार्द्ध मन्दालसं च मकरालयकन्यकाया:।।7।।
दद्याद दयानुपवनो द्रविणाम्बुधाराम स्मिभकिंचन विहंग शिशौ विषण्ण।
दुष्कर्मधर्ममपनीय चिराय दूरं नारायण प्रणयिनी नयनाम्बुवाह:।।8।।
इष्टा विशिष्टमतयो पि यथा ययार्द्रदृष्टया त्रिविष्टपपदं सुलभं लभंते।
दृष्टि: प्रहूष्टकमलोदर दीप्ति रिष्टां पुष्टि कृषीष्ट मम पुष्कर विष्टराया:।।9।।
गीर्देवतैति गरुड़ध्वज भामिनीति शाकम्भरीति शशिशेखर वल्लभेति।
सृष्टि स्थिति प्रलय केलिषु संस्थितायै तस्यै नमस्त्रि भुवनैक गुरोस्तरूण्यै ।।10।।
श्रुत्यै नमोस्तु शुभकर्मफल प्रसूत्यै रत्यै नमोस्तु रमणीय गुणार्णवायै।
शक्तयै नमोस्तु शतपात्र निकेतानायै पुष्टयै नमोस्तु पुरूषोत्तम वल्लभायै।।11।।
नमोस्तु नालीक निभाननायै नमोस्तु दुग्धौदधि जन्म भूत्यै ।
नमोस्तु सोमामृत सोदरायै नमोस्तु नारायण वल्लभायै।।12।।
सम्पतकराणि सकलेन्द्रिय नन्दानि साम्राज्यदान विभवानि सरोरूहाक्षि।
त्व द्वंदनानि दुरिता हरणाद्यतानि मामेव मातर निशं कलयन्तु नान्यम्।।13।।
यत्कटाक्षसमुपासना विधि: सेवकस्य कलार्थ सम्पद:।
संतनोति वचनांगमानसंसत्वां मुरारिहृदयेश्वरीं भजे।।14।।
सरसिजनिलये सरोज हस्ते धवलमांशुकगन्धमाल्यशोभे।
भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवनभूतिकरि प्रसीद मह्यम्।।15।।
दग्धिस्तिमि: कनकुंभमुखा व सृष्टिस्वर्वाहिनी विमलचारू जल प्लुतांगीम।
प्रातर्नमामि जगतां जननीमशेष लोकाधिनाथ गृहिणी ममृताब्धिपुत्रीम्।।16।।
कमले कमलाक्षवल्लभे त्वं करुणापूरतरां गतैरपाड़ंगै:।
अवलोकय माम किंचनानां प्रथमं पात्रमकृत्रिमं दयाया : ।।17।।
स्तुवन्ति ये स्तुतिभिर भूमिरन्वहं त्रयीमयीं त्रिभुवनमातरं रमाम्।
गुणाधिका गुरुतरभाग्यभागिनो भवन्ति ते बुधभाविताया:।।18।।
।। इति श्री कनकधारा स्तोत्रं सम्पूर्णम् ।।
(Kanakadhara Stotram in hindi)
Kanakadhara Stotra with origin as per mythology
Read Kanakadhara Stotra in English later in this page.
As per WikiPedia – Kanakadhara Stotram was written in the 8th century CE by Adi Sankara. Sankara took “Sanyasa” (renunciation) when he was of 8 years and one day when he was on – “biksha” , he reached at the doorstep of a very poor lady.
She was so poor that she had nothing edible in her home. But her intent was so pious that she wanted to give something to the Brahmin boy, she searched her house, but he could only find a single amla (gooseberry). She however, offered to Sankara.
Sankara was so pleased by kindness and selflessness of this lady that he created and sang this poetry to praise Goddess Lakshmi. (Kanakadhara Stotram)
After sometime, Goddess Lakshmi appeared and asked the reason as why Sankara remembered her. We know that Goddess Lakshmi is powers to change the fate of all by written by Brahma. Initially Lakshmiji refused to act because of the Karmas of previous birth but after listening the act of kindness by Sankara, Goddess Lakshmi was so pleased that she instantly showered the lady’s house with goose berries made of pure gold.
Kanakadhara Stotra in English Lyrics
Anggam Hareh Pulaka-Bhuussannam-Aashrayantii Bhrngga-Anggan[a-I]eva Mukula-[A]abharannam Tamaalam |
Anggii-Krta-Akhila-Vibhuutir-Apaangga-Liilaa Maanggalya-Daa-[A]stu Mama Manggala-Devataayaah ||1||
Mugdhaa Muhur-Vidadhatii Vadane Muraareh Prema-Trapaa-Prannihitaani Gataagataani |
Maalaa Drshor-Madhukarii-[I]va Mahotpale Yaa Saa Me Shriyam Dishatu Saagara-Sambhavaayaah ||2||
Vishva-Amare[a-I]ndra-Pada-Vibhrama-Daana-Dakssam_ Aananda-Hetur-Adhikam Mura-Vidvisso-[A]pi |
Iissan-Nissiidatu Mayi Kssannam-Iikssanna-Ardham_ Indiivaro[a-U]dara-Sahodaram-Indiraayaah ||3||
Aamiilita-Akssam-Adhigamya Mudaa Mukundam_ Aananda-Kandam-Animessam-Anangga-Tantram |
Aakekara-Sthita-Kaniinika-Pakssma-Netram Bhuutyai Bhaven-Mama Bhujangga-Shaya-Angganaayaah ||4||
Baahv[u]-Antare Madhu-Jitah Shrita-Kaustubhe Yaa Haaraavali-Iva Hariniilamayii Vibhaati |
Kaama-Pradaa Bhagavato-[A]pi Kattaakssa-Maalaa Kalyaannam-Aavahatu Me Kamala-[A]alayaayaah ||5||
Kaala-Ambu-Da-Ali-Lalito[a-U]rasi Kaittabha-Arer_ Dhaaraadhare Sphurati Yaa Taddid-Anggane[a-I]va |
Maatuh Samasta-Jagataam Mahaniiya-Muurtir_ Bhadraanni Me Dishatu Bhaargava-Nandanaayaah ||6||
Praaptam Padam Prathamatah Kila Yat-Prabhaavaan Maanggalya-Bhaaji Madhu-Maathini Manmathena |
Mayyaa-Patet-Tad-Iha Mantharam-Iikssanna-Ardham Manda-Alasam Ca Makaraalaya-Kanyakaayaah ||7||
Dadyaad Daya-Anupavano Dravinna-Ambu-Dhaaraam_ Asminn-Akin.cana-Vihangga-Shishau Vissannnne |
Dusskarma-Gharmam-Apaniiya Ciraaya Duuram Naaraayanna-Prannayinii-Nayana-Ambu-Vaahah ||8||
Issttaa Vishisstta-Mata-Yo-[A]pi Yayaa Dayaa-[Aa]rdra_ Drssttyaa Trivissttapa-Padam Sulabham Labhante |
Drssttih Prahrsstta-Kamalo[a-U]dara-Diipti-Rissttaam Pussttim Krssiisstta Mama Pusskara-Vissttaraayaah ||9||
Giir-Devate[aa-I]ti Garudda-Dhvaja-Sundarii-[I]ti Shaakambharii-[I]ti Shashi-Shekhara-Vallabhe[a-I]ti |
Srsstti-Sthiti-Pralaya-Kelissu Samsthitaayai Tasyai Namas-Tri-Bhuvanai[a-E]ka-Guros-Tarunnyai ||10||
Shrutyai Namo-[A]stu Shubha-Karma-Phala-Prasuutyai Ratyai Namo-[A]stu Ramanniiya-Gunna-Arnnavaayai |
Shaktyai Namo-[A]stu Shata-Patra-Niketanaayai Pussttyai Namo-[A]stu Purussottama-Vallabhaayai ||11||
Namo-[A]stu Naaliika-Nibha-[A]ananaayai Namo-[A]stu Dugdho[a-U]dadhi-Janma-Bhuutyai |
Namo-[A]stu Soma-Amrta-Sodaraayai Namo-[A]stu Naaraayanna-Vallabhaayai ||12||
Sampat-Karaanni Sakale[a-I]ndriya-Nandanaani Saamraajya-Daana-Vibhavaani Saroruha-Akssi |
Tvad-Vandanaani Duritaa-Haranno[a-U]dyataani Maam-Eva Maatar-Anisham Kalayantu Maanye ||13||
Yat-Kattaakssa-Samupaasanaa-Vidhih Sevakasya Sakala-Artha-Sampadah |
Samtanoti Vacana-Angga-Maanasais_ Tvaam Muraari-Hrdaye[a-I]shvariim Bhaje ||14||
Sarasija-Nilaye Saroja-Haste Dhavalatama-Amshuka-Gandha-Maalya-Shobhe |
Bhagavati Hari-Vallabhe Manojnye Tri-Bhuvana-Bhuuti-Kari Prasiida Mahyam ||15||
Dig-[G]hastibhih Kanaka-Kumbha-Mukha-Avasrsstta_ Svar-Vaahinii-Vimala-Caaru-Jala-Pluta-Anggiim |
Praatar-Namaami Jagataam Jananiim-Ashessa_ Loka-Adhinaatha-Grhinniim-Amrta-Abdhi-Putriim ||16||
Kamale Kamala-Akssa-Vallabhe Tvam Karunnaa-Puura-Taranggitair-Apaanggaih |
Avalokaya Maam-Akin.canaanaam Prathamam Paatram-Akrtrimam Dayaayaah ||17||
Stuvanti Ye Stutibhir-Amuubhir-Anvaham Trayiimayiim Tri-Bhuvana-Maataram Ramaam |
Gunna-Adhikaa Gurutara-Bhaagya-Bhaagino Bhavanti Te Bhuvi Budha-Bhaavitaa-Shayaah ||18||
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