बजरंग बाण – बजरंग बलि- BajrangBali ka “Bajrang Baan” -2022

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बजरंग बाण का पाठ हिंदी में। 2022 में सभी हनुमान भक्तों से निवेदन हैं, कृपया अपने सब्जी परिजनों के साथ हनुमान जी का बजरंग बाण ज़रूर शेयर करें। बजरंग बाण का पाठ रोज़ अथवा मंगलवार और शनिवार को करना चाहिए।

Bajrang Baan – Read बजरंग बाण – BajrangBali’s (Lord Hanuman) “Bajrang Baan“. Bajrang Baan in Hindi included with Hanuman chalisa – a miraculous paath of Lord Hanuman to cure all diseases, pains and tensions of your life. Jai Hanuman, Jai BajrangBali

बजरंग बाण, बजरंग बान

बजरंग बाण का पाठ - BajrangBali ka "Bajrang Baan"

दोहा :  Bajrang baan

निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान। 

तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥ 

 

 

चौपाई : Bajrang baan

 

जय हनुमंत संत हितकारी। 

सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥ Bajrang baan

 

जन के काज बिलंब न कीजै। 

आतुर दौरि महा सुख दीजै॥ Bajrang baan

 

जैसे कूदि सिंधु महिपारा। 

सुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥ Bajrang baan

 

आगे जाय लंकिनी रोका। 

मारेहु लात गई सुरलोका॥ Bajrang baan

 

जाय बिभीषन को सुख दीन्हा। 

सीता निरखि परमपद लीन्हा॥ Bajrang baan

 

बाग उजारि सिंधु महँ बोरा। 

अति आतुर जमकातर तोरा॥ Bajrang baan

 

अक्षय कुमार मारि संहारा। 

लूम लपेटि लंक को जारा॥ Bajrang baan

 

लाह समान लंक जरि गई। 

जय जय धुनि सुरपुर नभ भई॥ Bajrang baan

 

अब बिलंब केहि कारन स्वामी। 

कृपा करहु उर अंतरयामी॥ Bajrang baan

 

जय जय लखन प्रान के दाता। 

आतुर ह्वै दुख करहु निपाता॥ Bajrang baan

 

जै हनुमान जयति बल-सागर। 

सुर-समूह-समरथ भट-नागर॥ Bajrang baan

 

ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले। 

बैरिहि मारु बज्र की कीले॥ Bajrang baan

 

ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा। 

ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर सीसा॥ Bajrang baan

 

जय अंजनि कुमार बलवंता। 

शंकरसुवन बीर हनुमंता॥ Bajrang baan

 

बदन कराल काल-कुल-घालक। 

राम सहाय सदा प्रतिपालक॥ Bajrang baan

 

भूत, प्रेत, पिसाच निसाचर। 

अगिन बेताल काल मारी मर॥ Bajrang baan

 

इन्हें मारु, तोहि सपथ राम की। 

राखु नाथ मरजाद नाम की॥ Bajrang baan

 

सत्य होहु हरि सपथ पाइ कै। 

राम दूत धरु मारु धाइ कै॥ Bajrang baan

 

जय जय जय हनुमंत अगाधा। 

दुख पावत जन केहि अपराधा॥ Bajrang baan

 

पूजा जप तप नेम अचारा। 

नहिं जानत कछु दास तुम्हारा॥ Bajrang baan

 

बन उपबन मग गिरि गृह माहीं। 

तुम्हरे बल हौं डरपत नाहीं॥ Bajrang baan

 

जनकसुता हरि दास कहावौ। 

ताकी सपथ बिलंब न लावौ॥ Bajrang baan

 

जै जै जै धुनि होत अकासा। 

सुमिरत होय दुसह दुख नासा॥ Bajrang baan

 

चरन पकरि, कर जोरि मनावौं। 

यहि औसर अब केहि गोहरावौं॥ Bajrang baan

 

उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई। 

पायँ परौं, कर जोरि मनाई॥ Bajrang baan

 

ॐ चं चं चं चं चपल चलंता। 

ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता॥ Bajrang baan

 

ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल। 

ॐ सं सं सहमि पराने खल-दल॥ Bajrang baan

 

अपने जन को तुरत उबारौ। 

सुमिरत होय आनंद हमारौ॥ Bajrang baan

 

यह बजरंग-बाण जेहि मारै। 

ताहि कहौ फिरि कवन उबारै॥ Bajrang baan

 

पाठ करै बजरंग-बाण की। 

हनुमत रक्षा करै प्रान की॥ Bajrang baan

 

यह बजरंग बाण जो जापैं। 

तासों भूत-प्रेत सब कापैं॥ Bajrang baan

 

धूप देय जो जपै हमेसा। 

ताके तन नहिं रहै कलेसा॥ Bajrang baan

 

 

दोहा : 

उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै, पाठ करै धरि ध्यान। बाधा सब हर, करैं 

सब काम सफल हनुमान॥

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HANUMAN ARTI AARTI KIJAY HANUMAN LALA KI

बजरंग बाण एवं Original Hanuman Ji Chalisa - Hindi Lyrics

दोहा 

(Shri Hanuman JI Chalisa)

 

श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि । 

बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥ 

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार

बल बुधि विद्या देहु मोहि,  हरहु कलेश विकार 

 

चौपाई 

(Shri Hanuman JI Chalisa)

 

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर 

जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥१॥ 

राम दूत अतुलित बल धामा 

अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥२॥ 

महाबीर बिक्रम बजरंगी 

कुमति निवार सुमति के संगी॥३॥ 

कंचन बरन बिराज सुबेसा 

कानन कुंडल कुँचित केसा॥४॥ 

हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजे 

काँधे मूँज जनेऊ साजे॥५॥ 

शंकर सुवन केसरी नंदन 

तेज प्रताप महा जगवंदन॥६॥ 

विद्यावान गुनी अति चातुर 

राम काज करिबे को आतुर॥७॥ 

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया 

राम लखन सीता मनबसिया॥८॥ 

सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा 

विकट रूप धरि लंक जरावा॥९॥ 

भीम रूप धरि असुर सँहारे 

रामचंद्र के काज सवाँरे॥१०॥ 

लाय सजीवन लखन जियाए 

श्री रघुबीर हरषि उर लाए॥११॥ 

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई 

तुम मम प्रिय भरत–हि सम भाई॥१२॥ 

सहस बदन तुम्हरो जस गावै 

अस कहि श्रीपति कंठ लगावै॥१३॥ 

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा 

नारद सारद सहित अहीसा॥१४॥ 

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते 

कवि कोविद कहि सके कहाँ ते॥१५॥ 

तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा 

राम मिलाय राज पद दीन्हा॥१६॥ 

तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना 

लंकेश्वर भये सब जग जाना॥१७॥ 

जुग सहस्त्र जोजन पर भानू 

लिल्यो ताहि मधुर फ़ल जानू॥१८॥ 

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही 

जलधि लाँघि गए अचरज नाही॥१९॥ 

दुर्गम काज जगत के जेते सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥२०॥ 

राम दुआरे तुम रखवारे 

होत ना आज्ञा बिनु पैसारे॥२१॥ 

सब सुख लहैं तुम्हारी सरना 

तुम रक्षक काहु को डरना॥२२॥ 

आपन तेज सम्हारो आपै 

तीनों लोक हाँक तै कापै॥२३॥ 

भूत पिशाच निकट नहि आवै 

महावीर जब नाम सुनावै॥२४॥

नासै रोग हरे सब पीरा जपत निरंतर हनुमत बीरा॥२५॥ 

संकट तै हनुमान छुडावै 

मन क्रम वचन ध्यान जो लावै॥२६॥ 

सब पर राम तपस्वी राजा 

तिनके काज सकल तुम साजा॥२७॥ 

और मनोरथ जो कोई लावै 

सोई अमित जीवन फल पावै॥२८॥ 

चारों जुग परताप तुम्हारा 

है परसिद्ध जगत उजियारा॥२९॥ 

साधु संत के तुम रखवारे 

असुर निकंदन राम दुलारे॥३०॥ 

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता 

अस बर दीन जानकी माता॥३१॥ 

राम रसायन तुम्हरे पासा 

सदा रहो रघुपति के दासा॥३२॥ 

तुम्हरे भजन राम को पावै 

जनम जनम के दुख बिसरावै॥३३॥ 

अंतकाल रघुवरपुर जाई 

जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥३४॥ 

और देवता चित्त ना धरई 

हनुमत सेई सर्व सुख करई॥३५॥ 

संकट कटै मिटै सब पीरा 

जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥३६॥ 

जै जै जै हनुमान गुसाईँ 

कृपा करहु गुरु देव की नाई॥३७॥ 

जो सत बार पाठ कर कोई 

छूटहि बंदि महा सुख होई॥३८॥ 

जो यह पढ़े हनुमान चालीसा 

होय सिद्ध साखी गौरीसा॥३९॥ 

तुलसीदास सदा हरि चेरा 

कीजै नाथ हृदय मह डेरा॥४०॥ 

 


दोहा 

(Shri Hanuman JI Chalisa)

 

पवन तनय संकट हरन, 

मंगल मूरति रूप। राम लखन सीता सहित, 

हृदय बसहु सुर भूप॥

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